हमेशा नहीं होता ' हारे को हरिनाम'।



  •  तीन पुराने चेहरों पर हो रहा है विचार, मिल सकती हैं नई जिम्मेदारी
  • 25 तारीख़ को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ व उनकी मंत्रिमंडल लेगी शपथ

विनय सिंह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ के नये मंत्रिमंडल गठन को लेकर कयासों का बाज़ार गर्म है। मंत्रिमंडल में जहाँ कई नए चेहरों पर दाँव खेला जा रहा है वहीं बहुत से पुराने नामों की भी चर्चा है। योगी आदित्यनाथ जहाँ स्पष्ट और प्रबल बहुमत से  दोबारा सरकार बनाने जा रहे हैं तो वहीं उन्हें अपने मंत्रिमंडल के कुछ कद्दावर साथियों के हार जाने का भी मलाल है। सूत्र बताते हैं कि संगठन अपने कुछ हारे किंतु भरोसेमंद साथियों को भी मंत्रिमंडल में पुनः शामिल करने पर विचार कर रहा है। ऐसे नामों में केशव प्रसाद मौर्या, राजेन्द्र सिंह उर्फ़ मोती सिंह और सुरेश राणा के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। संघ और परिषद की पृष्ठभूमि से आने वाले निवर्तमान सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही भाजपा में पिछड़े वर्ग की दमदार नुमाइंदगी करते हैं। मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान सर्खियों मे आए सुरेश राणा पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भाजपा का फायरब्रांड चेहरा हैं। इनके अलावा लंबे अरसे से प्रतापगढ़ के पट्टी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते चले आ रहे कद्दावर नेता और निवर्तमान काबीना मंत्री राजेन्द्र सिंह उर्फ़ मोती सिंह का नाम भी मज़बूती से शामिल है। जटिल जातीय समीकरण और कुछ भितरघात के कारण चुनाव हार गए मोती सिंह ने ग्राम एवं समग्र विकास मंत्री रहते अपने क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में विकास के नए प्रतिमान स्थापित किये हैं। प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के अधिकांश गरीबों को आवास मुहैया कराने के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके काम को उत्कृष्ट की श्रेणी में रखते आए हैं।

हालाँकि इस सूची में कुछ और नाम भी ज़ेरे बहस हैं किंतु जनाकांक्षा के अनुरूप उपरोक्त्त तीन नाम प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आ रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि भाजपा अपने इन मंत्रियों को 'नॉमिनेटेड एम.एल.सी' के रूप में मंत्रिमंडल में पुनः स्थान देती है या फिर संगठन, आयोग अथवा निगम में इन्हें सेवा का मौका दे उपकृत करती है।

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